लखनऊ : बिजली की धारा का प्रवाह हमेशा उच्च वोल्टेज से निम्न वोल्टेज की ओर होता है, बिलकुल वैसे ही जैसे पानी ऊंचाई से नीचे की ओर बहता है। लेकिन इसके लिए एक पूरा सर्किट चाहिए, यानी एक ऐसा रास्ता जिससे होकर करंट वापस अपने स्रोत तक लौट सके।
अब सोचिए, अगर कोई इंसान ज़मीन पर खड़ा होकर बिजली के तार को छू ले, तो वह खुद एक रास्ता बन जाता है, बिजली उसके शरीर से होकर ज़मीन तक जाती है। और यही होता है जानलेवा झटका।
जब कोई पक्षी बिजली के एक ही तार पर बैठता है, तो उसके दोनों पैर एक ही वोल्टेज पर होते हैं। यानी उसके शरीर में वोल्टेज का कोई अंतर नहीं होता। और जब वोल्टेज में फर्क नहीं होता, तो करंट को बहने का कोई कारण नहीं होता।
सीधी बातः करंट तभी बहता है जब दो बिंदुओं के बीच वोल्टेज में फर्क हो।
अब देखिए, अगर वही पक्षी गलती से एक साथ दो तारों को छू ले, जिनमें अलग-अलग वोल्टेज हो, या एक तार और ज़मीन से जुड़ी किसी चीज़ को एक साथ छू ले, तो ऐसी स्थिति में सर्किट पूरा हो जाता है और करंट उसके शरीर से प्रवाहित हो जाता है। इसे ही करंट लगना कहते हैं। जिससे उसे झटका लग सकता है या उसकी जान भी जा सकती है।
इंसानों के लिए खतरा क्यों?
पक्षियों के विपरीत, इंसान आमतौर पर ज़मीन पर खड़े होते हैं। अगर कोई व्यक्ति बिना सुरक्षा के जमीन पर खड़ा होकर बिजली के तार को छूता है, तो वह खुद एक कंडक्टर बन जाता है, बिजली उसके शरीर से होकर ज़मीन तक बहती है। यही कारण है कि बिजली के खंभों पर काम करने वाले लाइनमैन विशेष इंसुलेटेड गियर पहनते हैं और सख्त सुरक्षा नियमों का पालन करते हैं।
एवियन पावर लाइन इंटरेक्शन कमेटी (APLIC) और IUCN जैसे संगठन पिछले कई वर्षों से पक्षियों की सुरक्षा को लेकर काम कर रहे हैं। 1988 से एक विशेष संरक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य है पक्षियों को बिजली के खुले तारों से होने वाले नुकसान से बचाना है और बिजली आपूर्ति में रुकावट को कम करना। बिजली कंपनियां अब तारों को एक-दूसरे से दूर रखने, इंसुलेटेड कवर लगाने और टावरों की डिज़ाइन में बदलाव करने जैसे उपाय अपना रही हैं ताकि पक्षियों और अन्य वन्यजीवों को सुरक्षित रखा जा सके।